मैं पद्मावती। पता नहीं, मैं थी भी, या नहीं! साहित्य कहता है, मैं वीरांगना थी, जिसने आबरू बचाने के लिए…
वसंत पंचमी- सरस्वती पूजा आज मन गुनगुना रहा है… “वीणा-वादिनी वर दे…” क्या वर दे? विद्या की देवी, वीणा-वादिनी क्यों…
कुछ अनुभव, कुछ अनुभूतियाँ शब्दों में गुँथ गयीं… अभिव्यक्तियाँ बन गयीं! कुछ शब्द कागज़ पर कुछ यूं उतर गए… जैसे…