पिता (लघुकथा)

पिता बाबूजी की तबियत दिनों दिन बिगड़ती जा रही थी। हम सारे भाई-बहन लगभग रोज़ ही उनके पास होते। अभी…

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हैदराबाद पुलिस

हैदराबाद पुलिस– एक चर्चा मेरी नज़र से ————————————————- “बधाई हो, हैदराबाद पुलिस ने तो कमाल कर दिया!” “कमाल? यह असंवैधानिक…

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बाल दिवस – बचपन या केश?

आज बाल दिवस है… बाल मतलब? ज़ाहिर है, बच्चों का दिन! न कि, काले घने, सुनहरे, रुपहले केशों का दिन!…

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बेंगलुरु-ऊटी-मैसूर, दोस्तों के साथ…

14 – 18 सितंबरदिल्ली-बेंगलुरु-ऊटी-मैसूर-बेंगलुरु और फिर वापस दिल्ली कुछ अफ़रा तफ़री में ही प्रोग्राम बना, और हम तीन, मैं, ममता…

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तेज़ाब… (लघुकथा)

अभी एक दिन चित तरंगिणी पत्रिका के फ़ेसबुक पेज पर live आने का अवसर मिला। जहाँ मैंने अपनी एक कहानी…

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तस्वीर…. (लघुकथा)

“कितनी ख़ूबसूरत हो! तुम्हें तो मॉडल बनना चाहिए! बस, जल्दी से एक अच्छी सी तस्वीर खिंचवाकर भेज दो… मेरे अंकल…

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