Allahabad University Alumni Association की वार्षिक मैगज़ीन "धरोहर" में इस वर्ष के अंक में मेरी भी एक कहानी…मोहे रंग द……
कितनी ही वारदातों में पड़ोसियों की लड़ाई आसमान तक को हिला देती है… एक ही क्षेत्र में रहने वाले क्यों…
कल पद्मावत देखी। देखनी ही थी! आखिर जिस फ़िल्म के कारण इतनी हिंसा हो रही है, जो फ़िल्म अपने विवादों…
मैं पद्मावती। पता नहीं, मैं थी भी, या नहीं! साहित्य कहता है, मैं वीरांगना थी, जिसने आबरू बचाने के लिए…
वसंत पंचमी- सरस्वती पूजा आज मन गुनगुना रहा है… “वीणा-वादिनी वर दे…” क्या वर दे? विद्या की देवी, वीणा-वादिनी क्यों…
कुछ अनुभव, कुछ अनुभूतियाँ शब्दों में गुँथ गयीं… अभिव्यक्तियाँ बन गयीं! कुछ शब्द कागज़ पर कुछ यूं उतर गए… जैसे…