कुछ किताबें, कॉपी, कुछ पेन और पेंसिलें ही नहीं… कुछ झिड़कियाँ, कुछ फ़ब्तियाँ… कुछ व्यंग्य और कुछ परिहास भी कुछ…
नेताजी “कृष्णा, मुझे कुछ तो समय दो… तुम जानती हो, मेरे घर के हालात! अभी मैं शादी कैसे कर सकता…
नायिका ‘उफ़, कितनी मासूम सुन्दरता चेहरे पर दमक रही है! क्या ऐसी लड़की सचमुच चोरी कर सकती है?’ लाखों करोड़ों…
कटी-फटी तस्वीरों के टुकड़ों सी ज़िन्दगी टुकड़ों में ही बँटी रह गयी। हर टुकड़े में तार-तार सी… हर टुकड़े में…
फिर मिल गए ‘नितिन?’ भीड़ से भरे शॉपिंग मॉल में भी अपना नाम सुनकर नितिन चौंका। पलटकर देखा तो…
आज कुछ स्कूल की यादों से… बचपन के दोस्त… कभी-कभी बड़े होने तक बहुत दूर चले जाते हैं जैसा…
कुछ अनुभव, कुछ अनुभूतियाँ शब्दों में गुँथ गयीं… अभिव्यक्तियाँ बन गयीं! कुछ शब्द कागज़ पर कुछ यूं उतर गए… जैसे…